विपिन सागर रिपोर्टर
कानपुर, चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. आनंद कुमार सिंह ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंगलवार को उनका त्याग पत्र स्वीकार कर कानपुर के मंडलायुक्त के. विजयेंद्र पांडियन को अग्रिम आदेशों तक कार्यभार सौंपा है।
18 सितंबर को सीएसए का 27 वां दीक्षा समारोह के दौरान कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल विश्वविद्यालय की बदहाल स्थिति को लेकर नाराजगी जताई। सीएसए की रैंकिंग गिरने और पठन-पाठन के स्तर पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि जब रैंक नीचे जा रही है तो विश्वविद्यालय अच्छा कैसे हो सकता है। छात्रावासों में शौचालय से लेकर स्नानागार तक की स्थिति बदहाल है। दुर्गंध और गंदगी के बीच छात्र रहने को मजबूर हैं। गेस्ट टीचर के भरोसे पूरा विश्वविद्यालय संचालित हो रहा है। नियमित शिक्षक अपनी कक्षाओं में पढ़ाने नहीं जाते हैं।
सभी जिम्मेदारी से परे कुलपति को जमकर खरी खोटी सुननी पड़ी।
पूर्व कुलपति ने बेहतर की थी एनआईआरएफ रैंकिंग अब नीचे जा फिसली
विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ डी आर सिंह ने एनआइआरएफ रैंकिंग को काफी सुधार किया था जोकि अब 38 हो गई है। इसका मतलब विश्वविद्यालय ठीक से काम नहीं कर रहा है।
विश्वविद्यालय के भवन भी जर्जर हैं। डेरी विभाग में 500 गाय और भैंस हैं, लेकिन दूध का उत्पादन नहीं होता। स्विमिंग पूल बंद है। खेल गतिविधियां शून्य हैं।
राजभवन ने विश्वविद्यालय की व्यवस्था सुधारने के लिए दिया गया था एक माह का मौका
राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव सुधीर एम बोबड़े ने चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के काम-काज की समीक्षा बैठक में विश्वविद्यालय के छात्रावासों में व्याप्त गंदगी और विकास कार्यों में देरी पर नाराजगी जताई थी। विश्वविद्यालय में हो रही भर्ती के रोस्टर को शासन से स्वीकृत कराने के बारे में भी बैठक में पूछा गया था। राज्यपाल की टीम ने व्यवस्था सुधारने के लिए एक माह का मौका दिया था। इससे पहले राज्यपाल के निर्देश पर राजभवन से आई पांच टीमों ने विश्वविद्यालय परिसर का निरीक्षण कर अव्यवस्थाओं की सूची तैयार की थी। जोकि पूरी तरह से तमाम कमियों से भरी थी। जिसके बाद कुलपति पर भी दवाब बनाने लगा और आखिरी में डॉ आनंद कुमार सिंह ने अपना इस्तीफा सौंप दिया।